ऊपरी बाधा निवारण उपाय

ऊपरी बाधा के लक्षण, भूत प्रेत भगाने के उपाय, भूत प्रेत बाधा हरण टोटके/मंत्र – जब किसी व्यक्ति पर बुरी आत्मा का साया होता है तो उसे काफी प्रताड़ना और दुःख सहना पड़ता है. भूत प्रेत की बाधा से बचाने के लिए कई उपाय हैं. उनका विधिपूर्वक प्रयोग करने पर भूत-प्रेत और ऊपरी बाधा निवारण हो जाता है| विश्व के लगभग सभी धर्म अच्छी और बुरी आत्माएं होने की बात को स्वीकार करते हैं. हिन्दू धर्म तथा ज्योतिषी विज्ञान के अनुसार बुरी आत्माएं जब शरीर में प्रवेश करती हैं तो वह जीव को काफी प्रताड़ना देती हैं. इसलिए ऊपरी बाधा के लक्षण जानना बहुत ज़रूरी है|

ऊपरी बाधा निवारण उपाय

ऊपरी बाधा निवारण उपाय

जब किसी व्यक्ति पर ऊपरी बाधा का साया होता है तो उसके स्वभाव में और बातचित करने के तरीके में बहुत बदलाव देखने को मिलते हैं. भूत-प्रेत की विभिन्न जातियां होती हैं. ये भूत, प्रेत, पिशाच, यम, राक्षस, शाकिनी, डाकिनी, गंधर्व और चुड़ैल कहलाते हैं.

जब किसी व्यक्ति पर भूत का साया होता है वह पागलों की तरह बात करने लगता है. ऐसे व्यक्ति की आँखें लाल हो जाती है और शरीर कांपने लगता है. भूत के शरीर में प्रवेश करने पर उसमे गजब की शक्ति आ जाती है.

जब किसी व्यक्ति पर यक्ष का प्रकोप होता है तो वह ज़्यादातर आँखों से इशारा करता है तथा आँखे तांबे जैसी दिखती हैं. ऐसा व्यक्ति लाल रंग में रूचि लेने लगता है.

व्यक्ति पर अगर पिशाच का प्रकोप होता है तो काफी कमज़ोर हो जाता है और उसे गन्दा रहना अच्छा लगता है और उसके शरीर से दुर्गन्ध आने लगती है. ऐसे व्यक्ति को भूख ज़्यादा लगती है और वह एकांत में रहना पसंद करता है.

शाकिनी से सामान्यतः स्त्रियों प्रभावित हो जाती है. इस प्रेत शक्ति से प्रभावित स्त्री रोती और चिल्लाती है और कभी-कभी बेहोश भी हो जाती है. पीड़ित स्त्री के शरीर में ज़ोर से दर्द होता है और शरीर कांपने लगता है.

जब किसी व्यक्ति को प्रेत बाधा होती है तो वह चीखता-चिल्लाता है, रोने लगता है और इधर-उधर भागने लगता है. प्रेत से पीड़ित व्यक्ति जोर-जोर से सांसे लेने लगता है और कटु शब्दों में बातें करता है.

चुड़ैल से पीड़ित व्यक्ति को मांस खाने की तीव्र इक्छा होती है. चुड़ैल से पीड़ित व्यक्ति का शरीर पुष्ट हो जाता है और वह मुस्कुराता रहता है.

ऊपरी बाधा निवारण से पहले ये जान लेना ज़रूरी होता है कि भूत प्रेत आखिर बनते क्यों हैं. भूत प्रेत के बनने में सबसे बड़ा करना अकाल मृत्यु है. प्राकृतिक आपदा दुर्घटना आदि में असमय मृत्यु हो जाने पर आत्मा भटकने लगती है.

ऊपरी बाधा के बारे में पता चलने पर शीघ्र ही उसे दूर करने के उपाय करने चाहिए. ऊपरी बाधा निवारण के लिए सबसे पहले ज़रूरी है कि पीड़ित व्यक्ति को निराश या हताश न होने दें. जब किसी व्यक्ति को बाहरी बाधा होती है तो वह ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाता है या घबराने लगता है. ऐसे में ज़रूरी है कि आप पीड़ित व्यक्ति का हौंसला बढाएं. ऐसा करना ऊपरी बाधा निवारण में सहायक होता है.

पीड़ित व्यक्ति के पास हनुमान जी माँ दुर्गा आदि का चित्र रखने से प्रेत बाधा से मुक्ति मिलती है. ऊपरी बाधा निवारण के लिए लोहभान, अगरबत्ती और गुगल पर गंगाजल छिड़क कर जला दें. प्रेत आत्मा को अपशब्द न कहें, ऐसा करने पर वह उस व्यक्ति को और ज़्यादा प्रताड़ना देती है.

ऊपरी बाधा निवारण के लिए घर के बड़े बुजुर्ग अनजान गलती के लिए मांफी मांग सकते हैं तथा स्वादयुक्त पदार्थो का भोग लगाने पर भी उन्हें प्रसन्न किया जा सकता है.

ऊपरी बाधा निवारण के लिए पीपल से 5 साबुत पत्ते लें इन पर पांच सुपारी और दो लौंग रखें. इसके बाद इन पर गंगाजल से चन्दन को घिसकर पत्तों पर “रामदूताय हनुमान” दो-दो बार लिख दें और फिर बुरी आत्मा से शरीर छोड़ कर जाने की प्रार्थना करें.

अगर आपके बच्चे पर नज़र हाय या ऊपरी बाधा हो तो ऊपरी बाधा निवारण के लिए ये उपाय करें. 7 लाल मिर्च और एक चम्मच राई लेकर बच्चे के सिर से सात बार उतार कर आग में जला दें. ऐसा करने पर नज़र, हाय और ऊपरी बाधा से राहत मिलती है.

डरावने सपने आने पर तथा अनावश्यक डर होने पर हनुमान चालीसा और गजेन्द्र मोक्ष का पाठ करना बहुत लाभकारी होता है. हनुमान मंदिर में जा कर चोला चढ़ाने तथा हनुमान जी का श्रंगार करने पर भी बाहरी बाधा निवारण होता है और बुरे सपने आना बंद हो जाते हैं.

भूत प्रेत बाधा हरण टोटके या मंत्र ही उपयोगी होते हैं. भूत प्रेत और ऊपरी बाधा निवारण में उपाय और टोटके ही करना चाहिए. जहाँ भी पूजा कार्य संपन्न किया जाता है वहां कई प्रेत शक्तियां आ सकती हैं. इसके लिए पूजा करते समय बाएं हाथ में पीली सरसों या चावल ले कर उसे दाहिने हाथ से ढँक दें और मंत्र का उच्चारण कर चारों दिशाओं में उछाल दें. मंत्र इस प्रकार है:

ॐ अपसर्पन्तु ते भूत: ये भूत:भूमि संस्थित:।
ये भूत: बिघ्नकर्तारस्तेनश्यन्तु शिवाज्ञया॥
अपक्रामन्तु भूतानि पिशाच: सर्वतो दिशम।
सर्वेषामविरोधेन पूजा कर्मसमारभ्भे॥

देह रक्षा के लिए मंत्र को ग्रहण काल में सिद्ध करना चाहिए. देह रक्षा मंत्र इस प्रकार है –

ओम नमह वज्र का कोठा,

जिसमें पिंड हमारा बैठा।

ईश्वर कुंजी ब्रह्म: का ताला,

मेरे आठों धाम का यती हनुमन्त रखवाला।

ऊपरी बाधा निवारण के लिए नीचे दिए गए मंत्र से 108 बार लहसुन और हींग के पीसे हुए अर्क को पीड़ित व्यक्ति के आँख और नाक पर लगाने से भूत तुरंत छोड़कर चला जाता है. ये मंत्र इस प्रकार है –

ऊँ नमः श्मशानवासिने भूतादिनां पलायन कुरू-कुरू स्वाहा।

भूत भागने के लिए बहेड़े के पत्ते या जड़ का प्रयोग भी बहुत कारगर होता है. इसके लिए बहेड़े की जड़ या पत्ते को लेकर इसकी धूप-दीप, नैवेद्य और पंचोपचार पूजा के बाद 108 बार मन्त्र का उच्चारण करके सिद्ध कर लें. मंत्र इस प्रकार है – ऊँ नमः सर्वभूताधिपतये ग्रसग्रस शोषय भैरवी चाजायति स्वाहा।’

इस तरह से जो पत्ता जा जड़ को सिद्ध किया जाता है वहां से भूत प्रेत आदि दूर ही रहते हैं. इस जड़ से पत्ते से ताबीज बना कर बच्चे या बड़े को पहना देने पर भूत उनसे दूर रहते हैं.

भूत-प्रेत तथा ऊपरी बाधा निवारण के लिए साधक एक सरल उपाय और कर सकते हैं. इसके लिए शनिवार को उल्लू के दायें डैने से कुछ पंख निकाल लें उसके बाद उल्लू को उड़ा दें. इन पंखों को धोकर रख लें. इसके बाद साधक स्नान करने के बाद एक लाल कम्बल पर पूर्व की तरफ़ मुख करके बैठ जाए. अब यहाँ दिया गया मंत्र पढ़ कर पंख पर फूंक मारें. ये क्रिया 2100 बार करें. ऐसा करने के बाद पंखों को जला कर भभूति बना लें.

ऊपरी बाधा निवारण मंत्र:

मंत्र: ऊँ नमः रूद्राय, नमः कालिकायै, नमः चंचलायै नमः कामाक्ष्यै नमः पक्षिराजाय, नमः लक्ष्मीवाहनाय, भूत-प्रेतादीनां निवारणं कुरू-कुरू ठं ठं ठं स्वाहा।

इस तरह से बनी सिद्ध भभूति से कोई भी भूत, प्रेत आदि भाग जाता है. एक चुटकी भभूति ले कर मन्त्र का 108 बार जाप करें और पीड़ित व्यक्ति को झाड़ दें. अगर प्रेतात्मा ज़्यादा शक्तिशाली है तो इस भभूति से ताबीज बना कर बांह पुरुष की दायीं और स्त्री की बाई भुजा पर बांध दें.