वशीकरण मंत्र विद्या

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Vashikaran Prediction

विदेश यात्रा योग

विदेश यात्रा योग

विदेश जाने कि लालसा सब में होती है युवा, व्यवसाय के लिए विदेश जा कर धन कमाना पसंद करते है। इस के लिए युवा वर्ग वही अध्यन करना चाहता है। जिससे लाभ हो जैसे   चिकित्सा क्षेत्र मे, डॉ, नर्स, या चिकित्सा क्षेत्र से जुडे कार्य तकनीक के क्षेत्र में इंजीनियर, आर्किटेक्ट। जिस से अधिक से अधिक अवसर प्राप्त हो विदेश जाने के लिए।

विदेश यात्रा योग

विदेश यात्रा योग

जीवन में सतरंगी सपने सभी बनाते है पर यथार्थ में वो सपने कभी- कभी सपने रह जाते है। ज्योतिष द्वारा ना केवल भाग्य उदय होता है वरन आपके परिश्रम से सपनों को प्राप्त करते है। यहाँ मैं दो दोस्तों कि बात करूँगी, कमल एक तकनीकी कर्मचारी था, अपने परिश्रम के बल पर उसे विदेश जाने का मौक़ा मिला। उसी को देख कर नमन ने भी सोचा कि वह विदेश जाए कमल ने उस कि सिफरिश कि पर वीज़ा ना लग पाने कि वज़ह से नमन का विदेश गमन रुक गया।

मस्तिष्क में प्रशन उठता है की कमल के विदेश गमन में व्यवधान क्यों नहीं पड़ा। दूसरी ओर नमन का मार्ग क्यों नहीं बन सका। ज्योतिष के अनुसार कुंडली में नीच ग्रहों की दशा के कारण मार्ग में बाधा आती है या कुंडली योग नहीं बनते जिस के कारण अभीष्ट कार्य रुक जाते है।

विदेश जाने में कौन से ग्रह सहायक होते है—–

1-मकर, तुला,मेष राशि अगर व्यय स्थान अर्थात जातक की कुंडली के बारहवें भाव में हो, तब कम समय या भ्रमण आदि के लिए विदेश गमन का योग बनता है।

2-मकर, तुला, मेष, चर राशि कहलाती है जब व्यय अर्थात बारहवें स्थान पर होतीं है। “चर” का अर्थ ही गमन है, जो राशियाँ बारहवें स्थान के साथ स्थिर नहीं होती।

3-नवं स्थान भाग्य का और बाहरवा स्थान भाग्योदय का होता है।  नवे स्थान में अगर स्वामी राशि स्थिर है तब विवाह पूर्व विदेश गमन के लक्ष्ण दिखते है।

4-विवाह उपरांत अगर लग्न स्वामी जातक के एक जैसे हो तब विवाह पश्चात विदेश जाने का योग होता है।

इस बात को जान कर उत्सुकता बढ़ जाती है कि कौन से ग्रह किस प्रकार का विदेश भ्रमण करवा सकता है, जैसे——–

  • शुक्र अगर व्यय स्थान पर स्थित हो स्थिर हो, तब नए विचारों वाले तकनीकी दिशा में उन्नत देश में जाने का योग बनाती है।
  • शनि अगर बारहवें स्थान पर स्थिर हो कर स्थिर हो, तब पारम्परिक देश जैसे इंग्लैंड जाने का योग बनता है।
  • राहू- केतू अगर व्यय स्थान पर हो स्थिर हो कर स्थित हो जाए तब अरब देश जाने का योग बनता है ।
  • ध्यान देने योग्य बात है कि व्यय स्थान बारहवें स्थान को कहते है क्योकि वह जीवन के महत्वपूर्ण पक्ष निर्धारित करता है जैसे शत्रु, विदेश-यात्रा, सुख आदि।

 

कभी- कभी व्यक्ति अपनी कुंडली बनवाता ही नहीं। इस कारण से उसे पता चल ही नहीं पाता कि उसकी कुंडली में विदेश गमन है की नहीं।

विदेश में दीर्ध-प्रवास वाली जन्म कुंडली——

किसी जातक कि कुंडली में नौ, सात, बारह, भाव विदेश यात्रा से सम्बंधित होते है। जन्म कुंडली का तृतीय, भाव जीवन में होने वाली घटनाओं के बारे में बताता है। अष्टम भाव जातक की कुंडली का हो तो समुद्री यात्रा का योग होता है। सप्तम भाव में,नवम भाव में लगन जातक की कुंडली का हो तब विदेश व्यापार या दीर्ध विदेश प्रवास का योग परिलक्षित होता है।

इस कारण से जन्म, अच्छे कर्मों के कारण कुंडली के योग बनते और बिगड़ते ही।  जन्म – गत सस्कारों के कारण ग्रहों का शुभ प्रभाव रहता है। उन के मार्ग की बाधा दूर होती है जो  अच्छे कर्मो को बल देते है।

कुछ उपाय ऐसे ही होते है, जिन की ग्रह –दशा कमज़ोर होती है उनका अभीष्ट कार्य पूर्ण हो सकता है।  कुंडली किसी विशेषज्ञ को दिखानी चाहिए ताकि उचित समय पर कार्य हो सकें।

विदेश जाना ना संभव हों पा रहा हो तब निराश नहीं होना चाहिए। अपने अंदर के पुरुषार्थ को जागृत कर अपना कर्म करते रहना चाहिए।

ग्रहों को सिद्ध करने के लिए उपाय—-

साल में किसी भी दिन आने वाली सक्रांति के दिन, सुबह नहा धो कर, सफ़ेद तिल व गुड को

एक कुल्हड़ में डाले।  मिट्टी के कुल्हड़ को किसी पीपल के वृक्ष के गिरे हुए पत्ते से ढके।

शाम के समय किसी आक के पौधे कि जड़ में रख कर बिना देखे। बिना उस ओर मुड़े

उस जगह से लौट आए। घर वापस आ कर स्नान करें। इसके बाद पानी में केसर मिला कर

गुरु का नाम ले कर पी ले। कार्य सिद्ध होगा।

इसके विपरीत धन की समस्या आड़े आ रही हो अगर विदेश प्रबंध में तब हर मंगल को पीपल के वृक्ष के नीचे आटे का दिया बना कर जलाए। इस उपाय से धन की प्राप्ति संभव हो सकेगी।

इस बताए गए उपाय को शुक्ल पक्ष के शुक्रवार को करें, लकड़ी के लाल पाट पर सफ़ेद कपडा बिछा कर लक्ष्मी स्थापित करें, देसी धी का दिया जलाए। स्वयं पश्चिम मुख हो कर शंख रख कर केसर से स्वास्तिक बना कर लक्ष्मी के मन्त्र का जाप पंडित से करवाए।

इन उपायों को मन से करने से कार्य सिद्ध होगा।

 

 

अपना भविष्य कैसे जाने

अपना भविष्य कैसे जाने

अपना भविष्य कैसे जाने – ईश्वर ने मनुष्य की रचना ऐसे की है कि वह बात की तह तक जाने के लिए ललायित रहता है। उत्सुकता उसके स्वभाव में है। भविष्य एक ऐसा ही विषय रहा है, जिसकी ओर मनुष्य सदैव ही खिंचता रहा है। भविष्य के गर्भ में क्या है, यह जानने के लिए उसने बहुत सी ऐसी विद्याओं की खोज कर ली है, जिनकी सहायता से वह भविष्य की परतों को खोलने में बहुत हद तक सफल रहा है।जिनके अंतर्गत जातक के जन्म का समय, जन्म की तारीख और स्थान का आंकलन कर उसके आने वाले समय का पता लगाया जा सकता है।

भारतीय ज्योतिष विद्या के अनुसार यदि आपको अपने भविष्य के बारे में सटीकता से जानना है तो उसके के लिए व्यक्ति को अपने जन्म का विवरण अवश्य पता होना चाहिए, इसके बिना भविष्य की गणना नहीं की जा सकती। जो क्या इसका अर्थ यह हुआ कि जिन लोगों को अपने जन्म का विवरण नहीं पता वह कभी अपने भविष्य में होने वाली घटनाओं को जान नहीं पाएंगे? नहीं, ऐसा नहीं है। विश्वभर में बहुत सी विद्याएँ ऐसी हैं, जिनके द्वारा व्यक्ति के जन्म से जुड़ी किसी भी बात को जाने बिना ही उसके भविष्य के बारे में जाना सकता है।

अपना भविष्य कैसे जाने

अपना भविष्य कैसे जाने

आइए, कुछ ऐसी ही ज्योतिष विद्याओं के बारे में जानते हैं

टैरो कार्ड रीडिंग

टैरो कार्ड की विधा में भविष्य जानने के लिए जन्म के किसी विवरण का पता होना आवश्यक नहीं है। टैरो कार्ड रीडर आपको अपने सामने रखे टैरो कार्ड्स में से अपनी पसंद का कार्ड उठवाता है। आपने जो कार्ड उठाया है उसके आधार पर टैरो कार्ड विशेषज्ञ आपको आपका भविष्यफल बताता है।

टैरो कार्ड रीडिंग में प्रत्येक कार्ड विशेष होता है। आपके द्वारा उठाया गया कार्ड आपके भविष्य की सटीक जानकारी देता है। इस विद्या में एक ही बड़ी कमी है कि एक समय पर आप केवल एक ही प्रश्न का उत्तर प्राप्त कर सकते हैं, दूसरे प्रश्न का उत्तर प्राप्त करने के लिए आपको अगले दिन की प्रतीक्षा करनी होती है।

सामुद्रिक शास्त्र

व्यक्ति के पास अपने जन्म से जुड़ा कोई भी विवरण उपस्थित ना होने की स्थिति में सामुद्रिक शास्त्र की सहायता से भविष्य जाना जा सकता है। समुद्र ऋषि द्वारा सामुद्रिक शास्त्र की रचना की गई थी, जिस कारण इसे सामुद्रिक शास्त्र कहा जाता है। हस्तरेखा विज्ञान और शारीरिक अंग शास्त्र, सामुद्रिक शास्त्र की दो प्रमुख शाखाएं हैं।

रमल शास्त्र

रमल शास्त्र एक ऐसी विधा है जिसके तहत व्यक्ति रमल शास्त्र विशेषज्ञ से एक प्रश्न पूछता है। प्रश्न का जवाब देने के लिए विशेषज्ञ पासों का प्रयोग करता है। प्रश्न पूछे जाने के दौरान वह पासों को अपने हाथ में रखता है और फिर उन्हें समतल जमीन पर छोड़ देता है। उसके बाद पासों को एकदूसरे से सटाकर रख दिया जाता है। एकदूसरे से सटे हुए पासों पर जो बिंदु और पंक्तियां दिखाई देती हैं उन्हें कागज पर उतारा जाता है। कागज पर बनाई गई आकृति के आधार पर भविष्य से जुड़े प्रश्नों का हल खोजा जाता है।

व्यक्तित्व के द्वारा

व्यक्ति के जन्म का विवरण का पता होने पर भी उसके भविष्य के बारे में अनेक कई गूढ़ बातों का सही जवाब मिल सकता है। इसमें जातक की आंखों के रंग, नाक, कद, सिर का आकार, होठों की शेप, आदि का आंकलन करना प्रमुख रूप से सम्मिलित हैं।

अंक शास्त्र

अंक शास्त्र में द्वारा मनुष्य के व्यवहार, जीवन चरित्र इत्यादि के विषय में जाना जा सकता है इसके अंतर्गत एक विधि है भाग्यांक, यह एक महत्वपूर्ण अंक प्रयोग है भाग्यांक जीवनचक्रांक, जीवनपथ या व्यक्तित्वांक भी कहलाता है भाग्यांक से व्यक्ति के भविष्य उसकी विचारधारा और उसके जीवन में घटने वाली महत्वपूर्ण घटनाओं का पता लगाया जा सकता है

आइए भाग्यांक द्वारा भविष्य को जानने के विषय में जानें

अंक शास्त्र भविष्य को जानने का एक विश्वस्नीय माध्यम रहा है अंक शास्त्र में उपस्थित विधियों द्वारा मनुष्य के स्वभाव, जीवन चरित्र आदि के विषय में जाना जा सकता है इसी के अंतर्गत एक विधि है भाग्यांक, यह एक महत्वपूर्ण अंक प्रयोग है भाग्यांक से व्यक्ति के भविष्य उसकी विचारधारा और उसके जीवन में घटने वाली महत्वपूर्ण घटनाओं के विषय में पहले से ही जाना जा सकता है भाग्यांक को प्राप्त करके हम अनेक प्रकार की सटीक जानकारियाँ प्राप्त कर सकते हैं और भविष्य के विषय में सतर्क हो सकते हैं।

अंक ज्योतिष में भाग्यांक का उपयोग महत्वपूर्ण घटनाओं का समय या तिथि जानने के लिए उपयोग किया जाता है नाम का अक्षर बदलना इत्यादि बातें भी भाग्यांक के ही आधार पर कि जाती हैं भाग्यांक कि सहायता से हम अनेक उपाय प्राप्त कर सकते हैं और सही समय को जान भी सकते हैं अतरू भाग्यांक हमें हमारे जीवन के अनेक तथ्यों के विषय में सूचित करता है

 

भाग्यांक प्राप्त करने की विधि

भाग्यांक द्वारा हम अपना उचित व्यवसाय कैरियर भी प्राप्त कर सकते हैं ।अंक ज्योतिष में भाग्यांक को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है भाग्यांक का अर्थ है आपके जीवन का वह महत्वपूर्ण अंक जिसके द्वारा आपअपना व्यवसाय कैरियर निर्धारित कर सकें तथा जीवन में सफलता की नई उचाईयां छू सकें भाग्यांक जानने के लिये, जन्म तिथि, जन्म माह तथा जन्म वर्ष की आवश्यकता होती है

उदाहरणः भाग्यांक जानने के लिए हम इस गणना को करते हैं जैसे किसी व्यक्ति का जन्म 12 दिसंबर 1961 को है, तो उस जातक का भाग्यांक निम्नलिखित तरीके से निकाला जा सकता है.

जन्म तारीख  + जन्म मास + जन्म वर्ष = भाग्यांक

जन्म तारीख – 1+ 2 = 3

जन्म माह – 1+ 2  =  1+ 2  = 3

जन्म वर्ष – 1961  = 1 + 9+ 6 + 1 = 17 = 1+ 7 = 8

इस प्रकार इस व्यक्ति का भाग्यांक= 3+ 3+ 8 = 14 = 1+ 4 = 5

ये सभी विद्या अपने स्थान पर सही हैं और आपकी सहायता के लिए है। परंतु एक बात का हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि मनुष्य का भविष्य उसके अपने हाथ में होता है। मनुष्य यदि मेहनत करे और दृढ़ निश्चय रखे तो वह जीवन में क्या नहीं पा सकता!

 

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