वशीकरण मंत्र विद्या

श्रेणी: Vashikaran Prediction (Page 4 of 5)

Vashikaran Prediction

सम्मोहन शक्तिवर्द्धक सरल उपाय

सम्मोहन शक्तिवर्द्धक सरल उपाय

कुछ मंत्रों के प्रयोग से या कुछ तंत्र क्रियाओं के द्वारा लोगों को अपने वश में  कर लिया जाता है एवं उसके द्वारा अपने मनमर्जी के कार्य कराए जाते हैं किसी भी व्यक्ति को तंत्र विद्या या किसी खान-पान के द्वारा या मंत्र शक्तियों के द्वारा अपने वश में करने की क्रिया ही वशीकरण या सम्मोहन कहलाती है यह  कई तरीकों का होता है लोगों की समस्याएं अलग होती है और उसके समाधान भी ।

सम्मोहन शक्तिवर्द्धक सरल उपाय

सम्मोहन शक्तिवर्द्धक सरल उपाय

पत्नी सम्मोहन –

१- यदि पति-पत्नी में कलह है घर में शांति नहीं रहती है जिस कारण घर की उन्नति रुक जाती है आपस में हमेशा कलह रहती हो तो यह प्रयोग करना चाहिए . यह प्रयोग कृष्ण पक्ष के पहले माह के पहले दिन ही करना चाहिए जिसके लिए सुबह स्नान कर स्वच्छ होकर एकांत स्थान पर आसन बिछाकर बैठ जाए आपका मुंह उत्तर या पूर्व दिशा में होना चाहिए एवं अपने सामने एक दीपक – अगरबत्ती धूप जलानी चाहिए और अपनी पत्नी या प्रेमिका का नाम लेते हुए इस मंत्र का सात बार -जप करना चाहिए.

सम्मोहन मंत्र-

धामः धिमः धूमः धुर्जटे पत्नी वां वीं वुम वागधिश्वरी,

क्रामः क्रीमः  कृमः कालिका देवि,

शामः शिमः शुमः शुभमः कुरु

पति सम्मोहन –

यदि आपको शक हो कि आपका पति का किसी अन्य महिला के साथ संबंध  है  और उसका प्रेम आपके प्रति कम हो रहा है ऐसी स्थिति में आप कुछ टोटकों के जरिए अपना प्रेम पुनः प्राप्त कर सकते हैं

१- यदि आपको शक है तो रोज रात्री में थोड़ा कपूर अवश्य जलाएं और अपने बेड या सोने के स्थान पर नीचे रख दें यदि संबंध होंगे तो धीरे धीरे समाप्त हो जायेंगे और आप के प्रति सम्मोहित हो जाएंगे ।

२- आपके पति का प्रेम आपके प्रति कम हो गया है  तो रविवार की रात्रि में सोते समय कुछ सिंदूर पति के सोने के स्थान पर छिड़क दे  और प्रातः काल  मां पार्वती का  ध्यान करके पूजन करें और उसी सिंदूर से  अपनी मांग को भर ले यदि पति के संबंध होंगे तो समाप्त हो जाएगे और आप की तरफ आकर्षित होने लगेंगे ।

३- यदि आपके पति का संबंध किसी महिला से है तो अपने  पति को वश में करने के लिए उस महिला के नाम के अक्षर के बराबर मखाने ले ,प्रत्येक मखाने पर उस महिला का नाम लिख दे और ईश्वर से अपने पति का उस महिला से छुटकारा दिलाने की प्रार्थना करते हुए सारे मखानों को जला दें और उसको किसी ऐसी जगह रख दे जहां पर आते या जाते आपके पति का पैर उसकी राख में पड़ जाए आपके पति के संबंध धीरे-धीरे छूट जाएंगे और वह आपके वश में हो जाएंगे

शत्रु सम्मोहन –

१- यदि आपका शत्रु आपको परेशान कर रहा है या किसी भी तरह से पीड़ित हो तो उससे मुक्ति के लिए एवं उस को अपने वश में करने के लिए भोजपत्र के एक टुकड़े में अपने शत्रु का नाम लिखकर उसको शहद की डिब्बी में डुबोकर रख देना चाहिए ऐसा करने से वह शत्रु आपके वश में आ जाएगा।

२-अपने शत्रु को अपने वश में करना चाहते हैं  तो काले कमल  के भवरें के दोनों पंख लेकर  और पुष्करमूल सफेद  काकजंगा  इन सबको पीसकर सुखाकर एक चूर्ण बना लें इस चूर्ण को किसी भी तरह अपने शत्रु को या जिसे आप अपने वश में करना चाहते हैं उसको खिला दें वह व्यक्ति आपके वश में हो जाएगा ।

सम्मोहन टोटके-

१-किसी स्त्री को  सम्मोहित करने के लिए  काक जंघा  तगर केसर  इन तीनों को एक साथ पीसकर  स्त्री के मस्तक पर और पैर के नीचे डालना चाहिए इससे वह आप के वश में हो जाती है।

३-किसी भी व्यक्ति को सम्मोहित करने के लिए नगरकोट  हरताल और केसर को  समान भाग लेकर   और उसमें अपनी अनामिका उंगली का रक्त मिलाकर तिलक करके जिस व्यक्ति के सामने जाएंगे वह व्यक्ति आपके वशीभूत हो जाएगा।

४- किसी भी व्यक्ति को सम्मोहित करने के लिए उस व्यक्ति को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए फाल्गुनी नक्षत्र में अनार की लकड़ी तोड़कर  उसे धूप में सुखाकर  अपनी दाईं भुजा में लाल कपड़े से लपेटकर बाँध लेनी चाहिए  इससे जो व्यक्ति आपके सम्मुख जाएगा वह सम्मोहित हो जाएगा ।

५- किसी शुक्ल पक्ष के रविवार को  पांच लॉग  ले और उसको अपने शरीर के उस स्थान पर लगा ले  जहां पर आप को पसीना आता हो  फिर उन लौंग को सुखाकर  जिस भी व्यक्ति को दूध या चाय में डालकर खाने में दिया जाता है  वह सम्मोहित हो जाता है

६- किसी व्यक्ति को सम्मोहित करने के लिए हल्दी  गाय का घी  सरसों और इन सबको एक साथ पीसकर रस निकाल ले  उस रस को अपने शरीर में लगाने से किसी भी स्त्री को सम्मोहित किया जा सकता है।

७- वैजयंती माला  को धारण करने से  शत्रु भी  मित्र जैसा व्यवहार करने लगते हैं  और  आपके अंदर  एक सम्मोहित करने की छमता  उत्पन्न हो जाती है ।

सम्मोहन मंत्र –

१-सम्मोहन कामदेव मंत्र

ॐ नमः कामः देवायः सहकलः सहद्रसः

वन्हे धुननः जनममदर्शनः उत्कण्ठितःकुरु कुरु

दक्ष दक्षु-धर कुसुमः वाणेनः हनः  हनः स्वाहः

इस मंत्र का तीनों काल जाप करने से यह मंत्र सिद्ध हो जाता है एवं एक माह तक इस मंत्र को जाप करने से और इस मंत्र का प्रयोग करके जिस व्यक्ति को देखा जाता है वह वशीभूत हो जाता है सम्मोहित हो जाता है

२-बजरंग मंत्र

ॐ  पीर् बजरंगी राम् लक्ष्मण के संगी

जहां जाये फतहः के डंके बजाये

अमुक् को मोहः के मेरे पास न लाये,

तो अंजनी का पूत न कहायः

दुहाई राम् जानकी की

इस मंत्र को 11 दिन 11 माला लगातार जप करने से सम्मोहन शक्ति प्राप्त की जा सकती है इस मंत्र की शुरुआत आप हनुमान जयंती यह रामनवमी के दिन ही सुबह स्नान कर स्वच्छ होकर आसन बिछाकर करें

३- सिंदूर मोहन मंत्र-

बिन्दा तेल सिंदूरः कः

दुश्मनः गया पातालः

दुहाई कामियः  सिंदूर की

हमे देख शीतल हो जाये

सत्य नाम, आदेश गुरु

संत गुरु संत कबीरः

कामाख्या मंत्र का 108 बार जप करे एवं कामाख्या सिंदूर को अपने मस्तक में लगाना चाहिए , जो भी व्यक्ति आपको देखेगा सम्मोहित हो जाएगा।

 

भैरव वशीकरण मन्त्र प्रयोग

भैरव वशीकरण मन्त्र प्रयोग

भैरव वशीकरण मन्त्र, भैरव वशीकरण प्रयोग, भैरव तंत्र साधना – भैरव एक ऐसा शब्द जिसे अधिकतर हर भारतीय जनता है और अगर आप नहीं जानते भैरव के बारे मे तो ये एक ऐसे देवता है जिनमे ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों की ही शक्ति समाहित है। इनही को आप भैरवनाथ के नाम से भी जानते है। जो भय का हरण कर इस जगत का भरण करते है। काले कुत्ते की सवारी व गहरा काला रंग, स्थूल शरीर, अंगारकाय त्रिनेत्र, काले चोगेनुमा वस्त्र, रूद्राक्ष की माला, हाथों में लोहे का भयानक दण्ड लिए भैरव का स्वरूप डराने वाला लगता है। पौराणिक कथा के अनुसार शिव के रूधिर से ही भैरव का जन्म हुआ है। फिर रूधिर के दो भाग हो गए थे – जिनमे एक बटुक भैरव और दूसरा काल भैरव हो गया। भैरव को शिव का रुद्र अवतार माना गया है। तो वही दूसरी ओर इन्हे अन्य 7 नामों से भी जाना जाता है – क्रोधोन्मत्त भैरव, असितांग भैरव, चण्ड भैरव, रु-रु भैरव, कपाली भैरव, भीषण भैरव और संहार भैरव जैसे शब्द भैरव को परिभाषित करते है।

भैरव वशीकरण मन्त्र प्रयोग

भैरव वशीकरण मन्त्र प्रयोग

अब हम आपको भैरव तंत्र साधना के बारे मे बताते है जिसको करने से आपके सभी असाध्य व सभी भयानक कष्ट दूर हो जाएंगे। मंत्र – आयाहि भगवान् रुद्रो भैरवः भैरवीपते, प्रसन्नोभव देवेश नमस्तुभ्यं कृपानिधि। इस साधना को आप किसी भी रविवार, मंगलवार या कृष्ण पक्ष की अष्टमी को शुरू कर सकते है। लाल वस्त्र का परिधान आपको पहनना होता है व मंत्र जाप के लिए काली हकीक के माला ली जाती है। साधना को शुरू करने से पहले आप अपने आसन के ठीक सामने भैरव का चित्र या मूर्ति स्थापित कर ले। तेल का दीपक भी साथ जला ले व साथ मे गुग्गल, धूप-अगरबत्ती भी जला सकते है।  साथ ही ध्यान जरूर रखे की पूजा के बाद अर्पित की सामग्री को पूजा-स्थल से बाहर नहीं ले जाये, बल्कि प्रसाद के रूप मे उसी समय उसका सेवन कर लेना चाहिए।

 

भैरव का आवाहन् करते हुए आपको बताए मंत्र का उच्चारण करना होता है और भैरवाय नमः बोलने के साथ चंदन, फूल, अक्षत, दक्षिणा, सुपारी,  नवैद्य आदि के साथ धूप और दीप से आरती करे। ध्यान रहे की भैरव का आवहन् करने के बाद आप काल भैरव की उपासना करते हुए इस शाबर मंत्र का जाप भी करें। मंत्र: जय काली कंकाली महाकाली के पुत काल भैरव, हुक्म है- हाजिर रहे, मेरा कहा काज तुरंत करे, काला-भैरव किल-किल करके चली आई सवारी, इसी पल इसी घड़ी यही भगत रुके, ना रुके तो तो दुहाई काली माई की, दुहाई कामरू कामाक्षा की , गुरू गोरखनाथ बाबा की आण छु वाचापुरी!!

भैरव साधना करते वक़्त खास ध्यान ये देना होता है कि उस दिन लसुन और प्याज न खाये, किसका झूठा पानी व भोजन न ले, दिन के वक़्त नीद न ले। प्लास्टिक के वर्तन की जगह ताँबे का बर्तन का इस्तेमाल कर सकते है।

ॐ भ्रां भ्रां भूँ भैरवाय स्वाहा। ॐ भं भं भं अमुक-मोहनाय स्वाहा। ये भैरव का एक वो मंत्र है जिसका इस्तेमाल करके आप किसी पर भी वशीकरण कर सकते है। इस मंत्र को आप सात बार पढ़कर पीपल के पर लिखकर उसे अभिमन्त्रित करे दे फिर जिस भी इंसान पर वशीकरण करना है उसके घर मे पत्ते को फेक दे या उसके घर के पीछे गाड़ दे। वैसे आप पीपल के पत्तों की जगह क्रिया को छितवन या फुरहठ के पत्तों के माध्यम से भी कर सकते है।

इन सबके अलावा आप अपने जीवन मे आने वाली अन्य किसी समस्या से निजात पाने के लिए बटुक भैरवजी की साधना कर परिणाम हासिल कर सकते है। ।।ॐ ह्रीं वां बटुकाये क्षौं क्षौं आपदुद्धाराणाये कुरु कुरु बटुकाये ह्रीं बटुकाये स्वाहा।। इस मंत्र का जाप आप प्रतिदिन 11 माला 21 मंगल तक जाप करें। इस साधना के बाद अपराध-क्षमापन स्तोत्र का पाठ भी करने के अलावा श्री बटुक भैरव अष्टोत्तर शत-नामावली का पाठ भी करना चाहिए। आप इस साधना को किसी भी मंगलवार को शाम 7 से 10 बजे के बीच कर सकते है। साधना करने के लिए जरूरी है की आपके पास बटुक भैरव का यंत्र हो, जिसे आप भैरवजी के चित्र के समीप लाल वस्त्र के ऊपर रखें। फिर चित्र या यंत्र के सामने हाल, फूल, थोड़े काले उड़द चढ़ाकर, पूजा के बाद लड्डू का भोग लगा दे। ऐसा करने से आपको कष्टों से छुटकारा मिलता है व बटुक भैरवजी की कृपा मिलती है।

आप भैरव तंत्र साधना के द्वारा अपने ऊपर हुए किसी भी  जादू-टोटके का नाश कर सकते है। जिसके लिए आपको ये मंत्र बोलना होता है, मंत्रः ऊँ भं भैरवाय अप्द्दुदारानाय तंत्र बाधाम नाशय नाशय! बताए मंत्र का सात माल जाप करने से पहले ही आप आटे के तीन दीपक जलाकर कपूर से आरती करे। इसी प्रकार अगर आप किसिकी लंबी आयु के लिय दुआ कर रहे है, तो इस मंत्र का सहारा ले सकते है। मंत्र: ऊँ भं भैरवाय आप्द्दुदारानाय कुमारं रु रु स्वरूपाय स्वाहाः!  पूर्व दिशा की ओर मुख करके आपको इस मंत्र का पांच माला जाप करना होता है, फिर आप गरीबों को खाना खिला दे। भैरवजी की कृपा से आपकी इच्छा पूर्ण हो जाएगी।

भारतीय संस्कृति व पौराणिक कथाओ मे बेसक भैरव को शिव के एक रुद्र रूप मे दिखाया है, पर ऊपर बताई गई तंत्र व मंत्र वैध्य मनुष्य को उसके अनेक कष्टों से निजात दिलाने की काबलियत रखती है। फिर चाहे कोई भी असाध्य रोग हो या लंबी आयु का कामना या दुश्मन से छुटकारा पाना हो, या किसी जादू-टोटके को बेअसर करना हो- आज भैरव साधना व मंत्रों का अपना एक विशेष महत्व बन चुका है।

 

पति का प्यार पाने के उपाय

पति का प्यार पाने के उपाय

पति का प्यार कैसे पाएं, पति का प्यार पाने का मंत्र/टोटका, पति को आकर्षित करने का मंत्र/उपाय

अगर आप शादीशुदा है तो ये विषय आपकी रुचि का हो सकता है। खासकर तब जब आपके पति के साथ रिश्ते कुछ सही नहीं चल रहे या पति पहले जितना प्यार करता था, अब वो प्यार कही खोता हुआ सा लग रहा है। शादीशुदा रिश्ते मे ये एक सबसे अहम बात होती है। प्यार किसिकी भी तरफ से कम हो ये चिंता का विषय बन जाता है। यहाँ तक की प्यार की कमी रिश्तों मे खटास पैदा कर देती है। ऐसे मे हर महिला चाहेगी की उसका पति उससे हमेशा प्यार करता रहे, जिससे आपकी खुशिया बरकरार रहे। कोई भी महिला अपने पति को अपने से दूर होते हुए नहीं देखना चाहेगी, ऐसे मे वो पति को अपनी ओर आकर्षित करने के लिय तरह-तरह के उपाए करती है। यहां तक की जरूरत पड़ने पर जादू-टोटके व वशीकरण विद्या का सहारा लेना भी गलत नहीं समझती। अगर आप भी इन बातों पर विश्वास करती है, पर पहले कभी इन उपाय को आजमाया नहीं, तो हम आपको कुछ ऐसे उपाय से रु-ब-रु करवाते है जिन्हे अपनाकर आप पति को अपनी ओर आकर्षित कर सकती है।

पति का प्यार पाने के उपाय

पति का प्यार पाने के उपाय

तो चलिये पहला उपाय हम आपको बताते है, जिसके अंतर्गत यदि आपको लगे की पति का प्यार आपके ऊपर से कम होते जा रहा है, तो आप शुक्रवार के दिन श्री कृष्ण का स्मरण करते हुए तीन इलायची को अपने बदन से स्पर्श करवाते हुए उसे साड़ी के पल्लू मे बांध ले या कोई और ड्रेस पहनी है तो उस इलयची को रुमाल मे बांध ले। फिर अगली सुबह इलायची की पीसकर किसी भी भोजन मे मिलाकर पति को खिला दे। ऐसा करने से आपको महीने के अंदर बदलाव दिखने लगेगा। इसके अलावा आप नारियल, धतूरे के बीज, कपूर को पीसकर, इसमें शहद डालकर मिला लें, फिर इसका हर रोज तिलक लगाने से सामने वाले मे आकर्षण बढ़ता है।

आगे हम आपको बताते है एक अन्य उपाय, जिसके लिए आपको चाहिए होंगे पीपल के 2 पत्ते। ध्यान रखे ये पत्ते पेड़ से तोड़े हुए हो, न की गिरे हुए। इसके बाद एक पत्ते पर पति का नाम काजल से लिखकर उसे पीपल के पेड़ के पास ही उल्टा करके रख दे और उसको किसी भारी पत्थर से दबा दे। इसी तरह दूसरे पत्ते पर पति का नाम सिंदूर से लिखे और उसे घर की छत पर उल्टा करके रख दे और ऊपर से पत्थर रख दे। ये प्रक्रिया आपको आने वाली पूर्णिमा तक करना होगा (यानि 16 दिन)। ये सब करने के अलावा आपको पीपल के पेड़ को हर दिन पानी चढ़ाते हुए पति को वापस पाने की मनोकामना करनी होगी। आने वाली पुर्णिमा तक ये करने के बाद सभी पत्तों को जमा करके उसे एक  गड्ढे मे दबा दे। ऐसा करने से आपके पति का आपकी ओर रुझान बढ़ेगा।

अगर पति-पत्नी अपने रिश्ते मे प्यार बरकरार रखने के लिए अपने-अपने भोजन से रोटी बचाकर रोज अपने हाथ से उसे चिड़ियों को खिलाते हैं तो इससे दोनों के बीच प्यार बना रहता है।

यदि किसी महिला को लगता है की उसके पति का रुख किसी अन्य महिला की ओर बढ़ते जा रहा है, तो उसके मन से उस महिला के प्रति लगाव हटाने के लिए पत्नी गुरुवार या शुक्रवार की रात 12 बजे के करीब पति की चोटी से कुछ बाल काटकर, उसे पति की नज़र से दूर घर मे ही कही एक सप्ताह के लिए रख दे। एक सप्ताह के बाद वो उन बालों को जलाकर पैरों से कुचल डाले और घर से बाहर फेक दे। इससे प्रक्रिया को करने से पत्नी ये देख पाएगी की उसके पति का ध्यान दूसरी औरत की तरफ से हट रहा है। इन सबके अलावा अगर पति-पत्नी के बीच वाद-विवाद हद से ज्यादा होते रहते है तो आप एक मंत्र का सहारा ले सकती है। ये मंत्र है: ‘‘ ओम कमाख्या देव्याय (पति का नाम) मम वश्यं कुरु कुरु स्वाहा।।’’ इसका जाप करने से पहले जरूरी है की पत्नी रात को सोने से पहले एक छोटी सी शीशी मे अपनी व पत्नी की छोटी से फोटो डालकर उसे तकिये के नीचे रख ले। इसके उपरांत मंत्र जाप करके रिश्ते के बीच होने वाली अनबन को खतम किया जा सकता है।

हम आपको एक और मंत्र बताते है: ‘ऊं हृीं वांछितं मे वशमानय स्वाहा’ – जिसका जाप कर आप पति ही नहीं किसी का भी वशीकरण कर सकते है। लेकिन जाप करने से पहले आप गाय के घी का दीपक जला ले, फिर स्फटिक की माला लेकर इस मंत्र का जाप शुरू करे। एक महीने तक प्रतिदिन एक माला का जाप करने से आप अपनी पति का वशीकरण कर सकेंगी। चलिये अब एक और अनोखा तरीका बताते है जिसको करने से आपका रिश्ता पति के साथ बेहद मधुर बन सकता है। इसके अंतर्गत आपको ज्यादा कुछ नहीं करना है। बस आप डॉल्फिन मछलियां अपने पति को उपहार दे सकती है या सच्च की मछलिया नहीं दे सकती, तो डॉल्फिन मछलियों का चित्र अपने बेडरूम मे पूर्व या पश्चिम दिशा में लगा दे। रिश्ते मे मधुरता आने के साथ सद्भभाव भी बढ़ेगा। और भला मधुरता आए क्यूँ न , गिफ़्ट मिलना भला किसे अच्छा नहीं लगता। ये कुछ ऐसे पल होते है जो इंसान के दिल मे खुशी भर देते है। खुशी के अलावा जीवन-साथी के साथ रिश्ते भी सुलझा देते है और असल मे एक सुलझा रिश्ता है स्वस्थ्य जीवन का आधार होता है।

 

जीवन रेखा

जीवन रेखा

हथेलियों की रेखाएं बहुत कुछ कहती हैं, जिनमें सामान्यतः तीन रेखाओं को ही स्पष्ट तौर पर देखा जा सकता है। इन्हें हृदय रेखा, जीवन रेखा और मस्तिष्क रखा के नाम से जाना जाता है। इनमें अगर भाग्य और भविष्य की झलक मिलती है, तो इसके सटीक विश्लेषण से विभिन्न क्षेत्र में सफलता सुनिश्चित की जा सकती है और जीवनशैली को बेहतर बनाया जा सकता है। यह रेखा अंगूठे के नीचे से दाईं हथेली में दाहिनी ओर और बाईं में बाएं तरफ शुक्र पर्वत को घेरे रहता है तथा यह तर्जनी के नीचे गुरु पर्वत के पास से शुरू होती है और हथेली के ठीक नीेचे मणिबंध तक जाती है।

जीवन रेखा

जीवन रेखा

हस्त रेखा विज्ञान के अनुसार सर्वाधिक महत्व वाली जीवन रेखा उम्र को दर्शाती है तथा इसके छोटी-बड़ी होने, गहरी, पतली, चैड़ी व स्पष्ट दिखने या टूटी होने से व्यक्ति के उम्र और जीवन-काल में शुभ-अशुभ व रोग-निरोग का पता चलता है। इस बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें इस प्रकार है, जिसपर ध्यान दिया जाना आवश्यक है।

  • हस्तरेखा ज्योतिष जीवन रेखा की स्थिति के आधार पर ही व्यक्ति की उम्र का आकलन करते हैं, कि उसकी आयु कितनी लंबी है या फिर छोटी। यदि जीवन रेखा पर क्राॅस का चिन्ह बना होता है, तो यह अशुभ परिणाम देने वाला होता है। जीवन रेखा का ज्योतिषीय पैमाने पर सही होने का अर्थ है अच्छी सेहत और खुशहाल जीवन-यापन। जिसकी जीवन रेखा पतली होती है वह रोगों से ग्रसित रहता है और उसके आकस्मिक मृत्यु होने की आशंका बनी रहती है।
  • यदि जीवन रेखा बृहस्पति के क्षेत्र से शुरु हो तब वह व्यक्ति बचपन से ही महत्वाकांक्षी होता है, किंतु उसका हृदय रेखा व शीर्ष रेखा के साथ ऊपर में जुड़े होने पर दुर्भाग्य को दर्शाता है। ऐसे व्यक्ति में बौद्धिकता की कमी आ जाती है और वह कोई भी निर्णय आवेश में लेकर दूसरों के साथ-साथ अपना भी नुकसान कर बैठता है।
  • लंबी और गहरी जीवन रेखा का अर्थ अच्छा स्वास्थ्य और सहन करने की अद्म्य क्षमता है, तो जीवन रेखा के साथ दो या तीन लकीरें होने का मतलब सकारात्मक ऊर्जा और सहनशीलता की अपार क्षमता का होना हो सकता है। बीच-बीच में टूटी जीवन रेखा व्यक्ति को न केवल कड़े संर्घष, अप्रत्याशित या अनपेक्षित बदलाव, तरक्की में बाधाएं अदि से गुजरने पर मजबूर कर देता है, बल्कि असाध्य रोगों की चपेट में भी आ जाता है।
  • इस रेखा के रंगों का भी जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। यदि किसी की जीवन रखा गहरी और लाल रंग लिए हुए हो तो उसे बात-बातपर गुस्सा आता है। यदि उसके पास का मंगल पर्वत भी उभार लिए हो तब आक्रामक की स्थिति में किसी के जीवन तक से खिलवाड़ कर सकता है। पीलापन लिए हुए जीवनरेखा वाले व्यक्ति में पीलिया रोग की आशंका बनी रहती है।
  • यदि जीवन रेखा तर्जनी से लेकर मणीबंध तक बगैर टूट के स्पष्ट बनी रहे, तो वैसे व्यक्ति की उम्र 80 वर्ष तक हो सकती है। रेखा के टूटी-फूटी होने यानि बीच में ब्रेक बनने का अर्थ उसकी अकाला मृत्यु हो सकती है, या फिर काफी कम उम्र में किसी रोग की वजह से मौत के मुंह में समा सकता है।
  • जिस किसी व्यक्ति की जीवन रेखा अंत में दो भागों में बंटी हो तथा एक भाग चंद्र पर्वत और दूसरी शुक्र पर्वत पर चली गई हो तो वह परदेश में जा बसता है। इसके विभाजित नहीं होने की स्थिति में यदि वह शुक्र पर्वत तक चला जाए तो वह व्यक्ति हमेशा दूसरे देश में ही बस जाता है।
  • जंजीरनुमा जीवन रेखा अच्छा नहीं माना जाता है। वह हमेशा अस्वस्थ रह सकता है। उसमें बहुत जल्द थकान आ जाती है और सामान्य परिश्रम से भी बचने की कोशिश करता है। दूसरी तरफ यदि जीवन रेखा के शुरूआत जंजीरनुमा हाने की स्थिति में व्यक्ति उतावलेपन का शिकार रहता है और संकुचित मानसिकता का वाला होता है। अधिकतर काम में असफलता मिलती है।
  • जीवन रेखा से निकलती रेखाएं व्यक्ति के अधिकार में बढ़ोत्तरी, आर्थिक स्थिति में उन्नति और जीवन में कर्मपथ पर सफलता का परिचायक है।
  • यदि जीवन रेखा पर कोई छोटा सा वर्ग बना हो तो यह अत्यंत ही शुभ माना जाता है। व्यक्ति के मन में सुरक्षा और आत्मविश्वास के भाव बने रहते हैं तथा उसके द्वारा किया गया कार्य सकारत्क नतीजे देने वाला साबित होता है।
  • यदि किसी स्त्री की हथेली में कोई रेखा मंगल पर्वत से होती हुई जीवन रेखा को काटे या स्पर्श करे तो वह अनैतिक संबंध बना सकती है, जिससे वह संकट में घिर सकती है। इसके अतिरिक्त जीवन रेखा के भीतर छोटी-छोटी समानांतर रेखाएं बनी हों तो उसका जीवन साथी सरल स्वभाव का होता है।
  • यदि जीवन रेखा और मस्तिष्क रेखा के बीच थोड़ा अंतर होने की स्थिति में व्यक्ति आजाद ख्याल का होता है। उसके बारे में यह कहा जा सकता है कि वह बगैर सोचे-विचारे काम करता है। दोनों रेखाएं एक ही स्थान से निकलती हैं।
  • यदि जीवन रेखा से किसी शाखा के गुरु पर्वत तक, जो तर्जनी के नीचे के हिस्से में स्थित होता है, से जा मिले तो वह व्यक्ति करोबार में तरक्की होने की संभावना बन जाती है।
  • जीवन रेखा की किसी शाखा के मध्य अंगुली के नीचे वाले शनि पर्वत को काटती है और भाग्य रेखा के साथ जाती हुई प्रतीत होती है तो वह व्यक्ति धनवान और सुख-सुविधाओं से संपन्न होता है।

जीवन रेखा का सेहत से संबंधः जीवन रेखा का स्वास्थ्य से सीधा संबंध है। इस संबंध में कुछ मुख्य बातें इस प्रकार हैंः-

  • बातें उससे निकलने वाली लकीरें नीचे की ओर गिरे होने पर उस व्यक्ति में हड््डी रोग हो सकता है।
  • जीवन रेखा के शनि पर्वत पर बने जाली तक जाने की स्थिति में पित्त संबंधी रोग हो सकते हैं, या फिर उसपर गोल या धब्ब बनने से नेत्र रोग या दृष्टि दोष की शिकायत रह सकती है। उसपर द्वीप बने होने के कारण आंख का आॅपरेशन हो सकता है।
  • जीवन रेखा पर द्वीप के साथ आड़ी-तिरछी रेखाएं बनी होने की स्थिति में मानसिक अशांति बढ़ सकती है और व्यक्ति मनारोग का शिकार हो सकता है।
  • जीवन रेखा पर सफेद बिंदू होने से मोतियाबिंद या इससे मिलती-जुलती दूसरी बीमारी हो सकती है।
  • जीवन रेखा द्वारा स्वास्थ्य रेखा को काटने की स्थिति में पाचन संबंधी रोग हो सकते हैं।
  • जीवन रेखा के मस्तिष्क रेखा तक जाने की स्थति में व्यक्ति मस्तिष्क ज्वर का शिकार हो सकता है।

 

संतान रेखा

संतान रेखा

संतान रेखा – किसी भी दंपति के लिए संतान वंश परंपरा को आगे बढ़ाने अर्थात उनके दुनिया से चले जाने के बाद उनकी पहचान बनाए रखने और जीवन के अंतिम दौर में बुढ़ापे की लाठी बनने के लिए जितना आवश्यक है, उतना ही मानव कल्याण के लिए भी महत्वपूर्ण है। संतानोत्पत्ति, इसमं विलंब या किसी दूसरे तरह की बाधाओं का आना जन्म कुंडली या हस्तरेखाओं के विश्लेषण से ज्ञात किया जा सकता है।

संतान रेखा

संतान रेखा

हस्त ज्योतिष के अनुसार हर व्यक्ति के हाथ में विवाह रेखा के ठीक ऊपर संतान की लकीरें होती है। विवाह की रेखा छोटी उंगली के ठीक नीचे होती है और यहीं बुध पर्वत होता है। हालांकि संतान प्राप्ति के योग दूसरी रेखाओं में अंगूठे के नीचे की छोटी सी लकीर या मणिबंध रेखा से भी प्रभावित होते हैं।

मणिबंध रेखा हथेली में होती है। यह संतान योग को अहम् बनाने में सहायक भूमिका निभाती है। जिस किसी व्यक्ति की हथेली पर सम संख्या में दो या चार मणिबंध होते है, उनको कन्या संतान का सौभाग्य प्राप्त होता है। इसके अतिरिक्त विषम की संख्या में एक या तीन मणिबंध होने की स्थिति में संतान के तौर पर पुत्र प्राप्ति की संभावना बनती है।

इसी तरह से विवाह रेखा के ऊपर की संतान रेखा के खड़ी और सीधी होने की स्थिति में पूत्र की कामना की जा सकती है। यदि यही रेखा टेढ़ी-मेढ़ी रहती है तब पुत्री के रूप में संतान प्राप्त हो सकता है। संतान रेखा के काफी महीन होने की स्थिति में हस्तरेखा की ज्योतिषीय भविष्यवाणी करना संभव नहीं हो पाता है।

संतान की स्वस्थता, रोग या स्वाभाविक प्रकृति या फिर बच्चे के प्रति बारे में माता-पिता का स्नेह-भाव भी इन रेखाओं से पता चलता है। यह रेखा के महीन होने या गहरे होने पर निर्भर करता है। हस्तरेखा विशेषज्ञ बताते हैं कि संतान रेखा के पतले होने की स्थिति में  संतान स्वस्थ होकर भी कमजोर रहता है। बाद में उसकी निर्बलता दूर हो जाती है। संतान रेखा के अंत मंे द्वीप बने होने की स्थिति में पुत्र या पुत्री के जीवन पर भी खतरा मंडरा सकता है।

वैदिक ज्योतिष में न केवल संतान योग के बारे में बताया गया है, बल्कि इस सिलसिले में आई बाधा को दूर करने के उपाय की भी चर्चा की गई है। इसके लिए ज्योतिष के विद्वान पति और पत्नी की जन्म कुंडलियों का विश्लेषण करते हैं। इस अनुसार लग्न में चंद्रमा के मजबूत होने और उसके पांचवें घर में बनी स्थिति के आधार पर संतानेत्पत्ति की संभावना व्यक्त की जाती है। अर्थात कुंडली के घर में मौजूद राशि और उसके स्वामी, बृहस्पति और उसके पांचवें में स्थिति के आधार पर परिणाम निकाले जाते हैं।

इस आधार पर पांचवें घर से पहली, उसके तीसेरे घर से दूसरी संतान के बारे में मालूम होता है। इसी तरह से   तीसरे से तीसरे घर से तीसरी संतान का बारे में अनुमान लगाया जा सकता है। इसी क्रम में आगे की संतानों के बारे में आगे के तीसरे घरों से मालूम होता है। हालांकि कुंडली के अनुसार गर्भधारण के त्रिकोण बनाने वाले भावों को ताकतवर माना गया है। ये तीन भाव लग्न, पंचम और नवम हैं। लग्न अगर व्यक्ति के स्वास्थ्य को दर्शाता है तो पंचम भाव उसके बुद्धि व संतान के बारे में बताता है। इसी तरह से नौंवां भाव भाग्य का है। पांचमें भाव में स्त्री के प्रजनन की क्षमता महत्वपूर्ण है, जिसके ग्रह की स्थितियों की अनुकूलता और प्रतिकूलता बनती-बिगड़ती है।

संतान सुख के लिए शुभ ग्रह शुक्र, बृहस्पति और बुध हैं। इनकी कुंडली के विभिन्न घरों की स्थितियों तथा उन पर पड़ने वाले दूसरे ग्रहों के प्रभाव के आधार पर संतान की संख्या, पुत्र या पुत्री, उसके स्वास्थ्य, मेधा-क्षमता, बौद्धिकता, शारीरिक सबलता-निर्बलता आदि की जानकारी मिलती है। इसके विपरीत संतानहीनता के बारे में मालूम किया जा सकता है, जिन्हें दूर करने के विभिन्न उपायों में वैदिक अनुष्ठान और मंत्र बताए गए हैं। उन्हीं में से एक है गोपाल मंत्र।

गोपाल मंत्र को एक सौ दिनों तक प्रतिदिन एक हजार बार जाप करने से संतान सुख का सौभाग्य मिल सकता है। इस मंत्र को पूरी तरह से विधि-विधान से किया जाना चाहिए, जिसकी पूर्णाहुति दस हजार मंत्रों के साथ हवन कर एवं ब्राह्मणों को भोजन खिलाकर की जाती है। ऐसा संभव नहीं होने की स्थिति में भी दंपति चाहें तो अपने कमरे में लगाए गए भगवान श्रीकृष्ण के बालरूप की तस्वीर के सामने गोपाल मंत्र का 108 बार जाप कर सकते हैं। तस्वीर में श्रीकृष्ण हाथ में लड्डू लिए होने चाहिए। इनका पूजन मक्खन और मिश्री के भोग के साथ करना चाहिए। ऐसा करने से निरोगी, लंबी आयु वाले संतान की संभावना प्रबल हो जाती है। गोपाल मंत्र बाधित गर्भधारण को दूर करता है, तो बार-बार गर्भपात को रोकता है।

गोपाल मंत्र इस प्रकार हैः- ओम देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते देहि में तनयं कृष्ण त्वामहम शरणम गतः   इस मंत्र के प्रयोग के अतिरिक्त संतान कामश्वरी, पुत्र प्रदोषव्रत पुत्र व्रत आदि के भी शास्त्रीय उपाए बताए गए हैं।

संतान दोष न केवल दंपति की कुंडलियों के ग्रहों से बनने वाले दुष्प्रभाव के कारण होते हैं, बल्कि कई बार पितृ दोष या घर का वास्तु दोष भी इसका कारण बनता है। ये दोनों दोष गर्भधारण करने से रोकता है या गर्भपात जैसी स्थितियां पैदा कर देता है। ऐसे लोगों को गणपति की पूजा फूल-फल से करना चाहिए। पूजन के बाद 108  बार गणपति के पुत्र-प्राप्ति मंत्र ओम पार्वतीप्रियानंदनाय नमः का पाठ करना चाहिए।

इसके साथ ही संतानहीनता को दूर करने के दूसरे अनुषठानों में शीतला षष्ठी व्रत है। यह व्रत माध शुक्ल षष्ठी के दिन शीतला देवी की पूजा के संपन्न किया जाता है। इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है। इसका पूजन बासी आहार से किया जाता है इस कारण इसे बासियौरा भी कहा गया है। हालांकि निराश दंपतियों को टोने-टोटके से बचते हुए संतान सुख में बाधक बनने वाले ग्रहों में शानि, राहू, केतू मंगल की शांति पूजन के वैदिक अनुष्ठान करवाए जाने चाहिए। कई बार सूर्य, शुक्र, बुध, चंद्रम या बृस्पिति भी गर्भधारण में बाधा उत्पन्न करते हैं। इस बारे में कुंडली की गणना के बाद ही उपाय किए जाने चाहिए।

कुछ साधारण उपायों से भी संतान सुख का मनावांछित लाभ मिल सकता है। उदाहरण के लिए  रविवार को सूर्योदय के बाद गुड़, गेहूं, केसर, लाल चंदन या सामथ्र्य के अनुसार तांबा या सोना व लाल रंग वाले फलों के दान करना चाहित। गायत्री मंत्रों का जाप शुभ फल दे सकता है, या फिर  नीलम या लाजवर्त रत्न धारण करना भी करगर साबित हो सकता है।

 

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